गेहूँ विश्वभर में उगाया जाने वाली अनाज फसलों में एक मुख्य फसल है, गेहूँ की 100 ग्राम भोज्य प्रदार्थ में 71% मण्ड, 12.6% प्रोटीन,1.5% वसा, 12.2% रेसा, 6.2 मिली ग्राम लौह, 39 मिली ग्राम कैल्शियम,12.29 मिली ग्राम जिंक, 13.01 मिली ग्राम मेग्नीज, 238 मिली ग्राम मेग्नीशियम, 842 मिली ग्राम फास्फोरस, 892 मिली ग्राम पोटेशियम पाया जाता है।
गेहूँ की उन्नत पैदावार के लिए 6 से 7.5 पी.एच. मान की जमीन अति उत्तम है। नवम्बर प्रथम सप्ताह की बुआई के लिए 75 किलो प्रति एकड़ बीज दर बनाये रखें। इससे देरी से बुआई होने पर बीज दर बढ़ाऐं। 10
क्विंटल गेहूँ की पैदावार के लिए 25 किलो नत्रजन, 9 किलो फास्फोरस, 33 किलो पोटेशियम, 5.3 किलो केल्शियम, 4.7 किलो मेग्नीशियम, 3.7 किलो सल्फर, 660 ग्राम लौह, 56 ग्राम जिंक, 48 ग्राम बोरॉन, 47 ग्राम मेंगनीज, 24 ग्राम तांबा, 2 ग्राम मोलेब्डेनम की आवश्यकता रहती है।
पलेवा के अलावा अधिक
अंकुरण हेतु भारी मिट्टी में स्ंिप्रक्लर द्वारा हल्की सिंचाई करें। कंसा, गभोट, बाली निकलते एवं दाना भरते समय नमी प्रबंधन पर खास ध्यान देवें। गेहूँ की प्रथम सिचाईं बाद खरपतनाशक दवाओं का उपयोग से खरपतवार नियंत्रण करें।
बीज उपचार:
त्वरित, अधिक प्रतिशत का स्वस्थ्य अंकुरण के लिए प्रति क्विटल बीज में 200 मिली ब्लेक गोल्ड अथवा 40 से 50 ग्राम हैस को जरुरी पानी में मिलाकर बीज उपचार करें।
पोषण प्रबंधन:
50 से 60 किलो डी.ए.पी., 30 किलो पोटाश, 15 से 20 किलो यूरिया को आधार खाद के रुप में उपयोग करें। जमीन की जैवांश तत्वों की पूर्ति के लिए एवं गेहूँ स्वस्थ विकास के लिए प्रति एकड़ 5 किलो सन्निधि का उपयोग करें। गेहूँ उगने के 18-20 दिन बाद सिंचित अवस्था मे 60 से 70 किलो यूरिया के साथ 5 से 7 किलो श्रीजिंक प्रति एकड़ भुरकाव करें। गभोट अवस्था में 50 किलो यूरिया प्रति एकड़ दुबारा भुरकाव करें। अर्ध सिंचित अवस्था में खाद की मात्रा आधी करें। असिंचित फसल में अपनी जमीन की नमी के आधार पर खाद की मात्रा तय करें। गेहूँ 30 दिन के होने के बाद 200 लीटर पानी में 100 ग्राम पेट्रान + 100 ग्राम पेट्यिार्क का छिड़काव करें। बाली निकलने के पहले 200 लीटर पानी में 500 मिली प्रथम + 1 किलो भव्य का छिड़काव करें।