कम अवधि में अधिक पैदावार देने वाली हायब्रिड धान की किस्मों के विकसन से किसानो में खुशहाली आई है। वैज्ञानिक विधि (पद्धति) अपनाकर किसान भाई इस खुशहाली को दुगना कर सकते हैं इसके लिए सिर्फ इतना करें -
जमीन की तैयारी
धान के खेत बिलकुल समतल बनायें रखना अतिआवश्यक है। गहरी जुताई करके पाटा घुमाकर जमीन को भुरभुरी बनाये। पलेवा करके ही सीधी बुआई करें ।
बीज दर (पौध संख्या)
प्रत्यारोपण के लिए 5 से 6 किलो बीज प्रति एकड़, सीधी बुआई के लिए 18 से 20 किलो की जरुरत पड़ती है । प्रत्यारोपण विधि में कतार से कतार की दूरी 15 से 20 से.मी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 से. मी.की बनाये रखें ।
बीज उपचार
त्वरित, अधिक प्रतिशत, स्वस्थ अंकुरण के लिए एवं ज्यादा जड़ों के निर्माण हेतु प्रति एकड़ क्षेत्र में बोये जाने वाले बीज में 20 ग्राम हैस को जरुरी पानी में मिलाकर बीज उपचार करें ।
पौध पोषण
प्रति एकड़ 40 किलो नत्रजन, 20 किलो स्फुर, 20 किलो पोटाश का उपयोग करें । नत्रजन की 20%, स्फुर पोटाश की
100% मात्रा आधार खाद के रुप में उपयोग करें। जैवांश कार्बन (हुम्स) की पूर्ति के लिए 5 किलो सन्निधि का प्रयोग करें। शेष नत्रजन को दो किश्तों में प्रयोग करें। जिंक, लोहा, सल्फर, मैग्रेशियम तत्वो की पूर्ति के लिए प्रति एकड़ 5 किलो श्रीजिंक यूरिया या अन्य खाद के साथ मिलाकर डाले। यूरिया का उपयोग करते समय खेत में अधिक पानी न रहें इसका ध्यान रखें। नत्रजन की उपयोगिता को बढ़ाने के लिए प्रति बोरी यूरिया में 250 मिली. ब्लेकगोल्ड की कोटिंग करे।
खरपतवार नियंत्रण
समय-समय पर खरपतवार नियंत्रण करतें रहें। रासायनिक खरपतवारनाशी के साथ प्रति एकड़ 200 मि.ली. हैस का प्रयोग करें।
नमी प्रबंधन
धान फसल में नमी प्रबंधन सबसे प्रमुख है प्रत्यारोपण, कंसा अवस्था, गभोट अवस्था, बाली निकलना, दाने की भरने की स्थिति में 4-5 दिन 1.5 से 2 इंच पानी खेत में भरा रहना चाहिए बाकि समय में समानरुप से नमी बनाये रखें। नमी की कमी से खेत में दरार नहीं पड़ना चाहिए।
कीट नियंत्रण:
धान फसल में कई प्रकार का कीट प्रकोप होता है। इसमें तना छेदक, पत्ती मोड़क, कटुआ, भ्ररा हरा माहू आदि मुख्य है। इनके नियंत्रण के लिए जरुरी कीटनाशक दवाओं के साथ नीम आधारित उत्पाद का प्रयोग करें।
व्याधि नियंत्रण:
धान फसल में ब्लाईट, ब्लास्ट और नेकरोट आदि रोग सबसे अधिक क्षति पहँुचाते है। इन रोगों को प्रारंभिक अवस्था में नियंत्रित करना अतिआवश्यक है। प्रति एकड़ 40 से 60 ग्राम बेक्टिन का उपयोग करके ब्लाईट, ब्लास्ट रोग का सचोट नियंत्रण या रोकथाम करें।
पोषणों का छिड़काव:
धान फसल में कंसा अवस्था, गभोट अवस्था में अतिरिक्त पोषणो का छिड़काव करने से पैदावार में काफी वृद्धि होती है। इसके लिए 100 ग्राम पे्टॉन जिंक इडीटीए 1 किलो फेरस को 150 से 200 लीटर पानी में मिेलाकर कंसा अवस्था एवं गभोट अवस्था में पौधों पर अच्छी तरह से छिड़काव करें।