मक्का एक मुख्य अनाज फसल है। आहार (मनुष्य, मवेशी) के अलावा स्टार्च, इथेनाल आदि के निर्माण के लिए भी मक्का का उपयोग होता है। अमेरिका, फ्रांस देशों की उत्पादकता हमारे देश की उत्पादकता से बहुत अधिक है। प्रति एकड़ 40 से 45 क्विंटल पैदावार देने वाले उन्नत किस्म के बीज हमारे यहाँ भी उपलब्ध है, लेकिन इतने से वांछित पैदावार प्राप्त नहीं होती। मक्का की उन्नत पैदावार के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखकर वैज्ञानिक तरीके से खेती करें -
जमीन की तैयारी:
गर्म में आड़ी-खड़ी गहरी जुताई करके पाठा घुमाकर खेत को समतल बनाये।
पौध संख्या:
कतार से कतार 60 से.मी. पौधे से पौधा 22-23 से.मी. दूरी रखे जिससे प्रति एकड़ करीबन 26000 पौध संख्या बने रहे।
बीज उपचार:
त्वरित -स्वस्थ्य अंकुरण, अधिक जड़ों का निर्माण-फैलाव, अंकुर की जीवनी वृद्धि के लिए 25 से 30 किलो बीज को 20 ग्राम हैस को जरुरी पानी में घोलकर बीज उपचार करें। इसके साथ अंतर प्रवाही फंफूद नाशक को भी मिलायें।
संतुलित आधार खाद:
100 ग्राम भोज्य प्रदार्थ मक्का में 76.8% मण्ड, 7% प्रोटीन, 2.2% वसा, 2% विटामिन्स एवं 12% नमी पायी जाती है। मक्का के लिए 6 से 7.5 पी.एच. मान की मृदा अति उपयुक्त है। संतुलित खाद के रुप में प्रति एकड़ 60 किलो नत्रजन 30 किलो फास्फोरस, 30 किलो पोटेशियम का उपयोग करें। इनमें आधार खाद के रुप में 50 किलो डी.ए.पी., 50 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति एकड़ बुआई के समय उपयोग करें। बढ़ी हुई जमीन की पी.एच. को कम करने के लिए 250 से 500 मिली. प्रथम को डी.ए.पी. के साथ कोटिंग करें। मक्का उगने के 25 दिन बाद 40 किलो यूरिया के साथ सूक्ष्म तत्वों की पूर्ति के लिए 7 से 10 किलो श्रीजिंक प्रति एकड़ उपयोग करें। यूरिया की कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए प्रति बोरी यूरिया में 20 ग्राम हैस अथवा 150 मिली ब्लेक गोल्ड का कोटिंग करें। फूल आने के समय पर 40 किलो यूरिया का टॉप ड्रेसिंग दुबारा करें ।
खरपतवार नियंत्रण:
रासायनिक खरपतनाशी दवाओं के उपयोग से खरपतवार नियंत्रण करें । समय-समय पर डोरा चलाकर भी खरपतवार नियंत्रण कर सकते है ।