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पपीता

की उन्नत खेती वैज्ञानिक पद्धति से करें


पपीता एक स्वास्थ्यवर्धक फल है, इसमें कई प्रकार के खनिज, विटामिन्स, अमिनो अम्ल पाया जाता है। आर्थिक दृष्टि से अति लाभदायक इस फसल की पक्वता 8-9 महीने से आरंभ होकर 16-17 महीनें तक चलता रहता है। पपीते की उन्नत पैदावार के लिए वैज्ञानिक तरीकों का अपनाना अति आवश्यक है।


तापमान:
25 °C से 30 °C की तापमान उपयुक्त है। 10 °C से कम तापमान में फल की पक्वता धीमी होती है।

जमीन:
6.5 से 7 पी.एच. मान की अच्छी जल निकासी, उर्वरायुक्त रेतीली दुमट मिट्टी पपीते के लिए अति उपयुक्त है। जल भराव या ज्यादा नमी युक्त जमीन में पपीते की खेती नहीं करें।

पौध रोपण:
जून से नवम्बर का समय अति उत्तम है। पौधे से पौधा 6 फीट कतार से कतार 6 फीट के अन्तर से पौधा लगायें। पौध रोपण शाम का समय में ही करें। 45 सेंमी. ग 45 सेंमी. ग 45 सेंमी. की गडडे़ बनाकर उसमें 3:1 में ऊपरी मिट्टी, सेंद्रीय खाद भरें। पौधे को थोड़ा सा दक्षिण दिशा की ओर झुकाकर रोपण करें।

पौध पोषण:
प्रति पौधा 25 किलो सेंद्रीय खाद 250-250-500 ग्राम नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश का उपयोग करें। इनको पाँच समान भागों में बाँट कर रोपणी के समय पहला, 60 दिन बाद दूसरा, 120 दिन बाद तीसरा, 180 दिन बाद चौथा, 240 दिन बाद पाँचवा प्रयोग करें। नत्रजन को अमोनियम सल्फेट, कैल्शियम अमोनियम नाइटे्ट एवं पोटाश को सल्फेट ऑफ पोटाश के रुप में देना ज्यादा उपयुक्त है। खादों को मुख्य तने से 15 से 20 सेमी दूरी पर 8 सेमी. गहरी वृत्ताकार की नाली में डालकर मिट्टी से दबायें। पपीते की फसल को बोरॉन की कमी से ज्यादा नुकसान होता है। इसके लिए चौथे महीने से प्रतिमाह 250 ग्राम सुबॉन,1 किलो कैल्शियम नाइटे्ट, 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। (8-9 महीने तक) सूक्ष्म तत्वों की पूर्ति के लिए दूसरे एवं छठे महीने में 10 किलो श्रीजिंक तथा 25  किलो मैग्नम प्रति एकड़ उपयोग करें। मृदा की सेंद्रीयता बढ़ाने के लिए प्रति एकड़ 1लीटर ब्लेक गोल्ड पौध रोपण के समय उपयोग करें। तीसरे, पाँचवे महीने में 200 ग्राम हैस प्रति एकड़ अन्य खाद के साथ मिलाकर या सिंचाई के साथ उपयोग करें । 

100 ग्राम भोज्य पपीते में
नमी 86.0 ग्राम                                भस्म 0.61 ग्राम                                 जिंक 0.07 मिली ग्राम
मंड 9.81 ग्राम                                   लोहा 0.10 मिली ग्राम                        केल्शियम 24.0 मिली ग्राम
रेशा 1.80 ग्राम                                 फॉस्फोरस 5.0 मिली ग्राम                  कॉपर 0.016 मिली ग्राम
प्रोटीन 0.61 ग्राम                             पोटेशियम 257.0 मिली ग्राम               मेग्नीज 0.011 मिली ग्राम
मेग्नेशियम 10.0 मिली ग्राम            सोड़ियम 3.0 मिली ग्राम


इसके अलावा कुल 231 मिली ग्राम अमिनो अम्ल भी पाया जाता है। वे इस प्रकार हैं -

ट्रॉयप्टोपेन 8 मिली ग्राम                                          वेलाइन 10 मिली ग्राम
थ्रायोनाइन 11 मिली ग्राम                                         एग्री नाइन 10 मिली ग्राम
आइसोल्यूसिन 8 मिली ग्राम                                    हिस्टिडिन 5 मिली ग्राम
लायसिन 25 मिली ग्राम                                           एलानिन 14 मिली ग्राम
ल्यूसिन 16 मिली ग्राम                                             अस्पार्टीक एसीड 49 मिली ग्राम
मिथियोनाइन 2 मिली ग्राम                                      ग्लुटामिक एसीड 33 मिली ग्राम
फिनादललानिन 9 मिली ग्राम                                  प्रोलाइन 10 मिली ग्राम
टैरोसिन 5 मिली ग्राम                                              सिस्टीन 15 मिली ग्राम

पपीते के फलों में इन अमिनो अम्लों का स्तर बनायें रखने के लिए फल विकास समय में (सातवाँ-आठवाँ महीने में ) प्रति एकड़ 1लीटर प्रथम का उपयोग करें ।

सिंचाई:
पपीते को रोजाना 6 से 8 लीटर पानी पर्याप्त है। पपीता मोजाइक वायरस का नियंत्रण के लिए 100 लीटर पानी में 1 लीटर मूगफली तेल घोलकर पर्णीय छिडकाव करें। जड़ गलन की रोकथाम के लिए 15 ग्राम  ट्रॉयकोडर्मा विरिडी प्रति पौधा गोबर खाद के साथ मिलाकर प्रयोग करें। तना गलन की रोकथाम के लिए C.O.C.  या बोर्डो मिश्रण का  ड्रेचिग करें। रिंग स्पॉट वायरस का नियंत्रण के लिए मेनकोजेब के साथ अन्तर प्रवाही कीटनाशक का उपयोग करें।


पोषण के कमी के लक्षण 

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