अधिकांश भारतीय जनता शाकाहारी है। प्रोटीन के
स्रोत के तौर पर दालें, दैनिक भोजन का अभिन्न अंग है। दलहन न केवल शाकाहारियों बल्कि मांसाहारियों के लिए भी प्रोटीन का सबसे सुलभ, सस्ता एवं व्यवहारिक
स्रोत है। विभिन्न दालों में पाए जाने वाले प्रोटीन एवं अमिनो अम्ल की मात्रा नीचे सारणी में दर्शायी गई है। इन अमीनों अम्लों की पूर्ति प्रथम के छिड़कांव से होगी।
दालें
प्रोटीन 100 ग्राम भोज्य पदार्थ में
अमीनों अम्ल/100 ग्राम प्रोटीन में
प्रथम में उपलब्ध
अरहर
21.9
लाइसिन 5.1-8.9
✓
उड़द
25.5 थ्रोओनिन 3.0-4.1
✓
मूंग 25.6
वेलिन 4.8-6.9
✓
प्रथम में प्रोटीन
लोबिया 25.6
ल्यूसिन 5.5-9.5 ✓ निर्माण में अवश्यक
मोठ
25.6
आइसोल्यूसिन 4.9-74 ✓ अमीनो अम्ल के
चना
19.4
मिथिओनिन 0.8-1.5
✓
अतिरिक्त 9 प्रकार के
मसूर 26.9
ट्प्टिोफेन 0.4-1.0
✓ अमीनो अम्ल पौध
मटर 25.6 फिनादललानिन 4.0-9.0 ✓ विकास के लिए
आरजिनिन 5.4-13.4
✓ उपलब्ध है
हिस्टीडिन 2.1-3.4
✓
अनुसंधान आधारित जैव उत्पाद - प्रथम, ठोस प्रोटीन से तरलीकृत एल अमीनो अम्लों का मिश्रण है। पौधो में ठंडक, सूखापन, पोषण की कमी, जल भराव जैसे प्राकृतिक तनाव एवं खरपतवार नाशक, कीटनाशक रसायनों से उत्पन्न होने वाली रासायनिक तनाव की स्थिति में फसल को टिके रहने की क्षमता में वृद्धि करता है। जमीन की रससार (पी.एच.) को कम करके फास्फोरस, पोटाश आदि मुख्य तत्वों की घुलनशीलता को सरल बनाता है। पौधों की प्राकृतिक बढ़वार, अधिक शाखायें, ज्यादा फूल-फल के निर्माण में मदद करता है।
प्रयोग समय व मात्रा:
1. पौध विकास अवस्था 2 एम.एल. प्रति लीटर पानी में घोलकर 100 से 150 लीटर पानी
2. फूल अवस्था प्रति एकड़ मेंफसल की अवस्थानुसार प्रयोग करें ।
(कीटनाशक व खरपतवार नाशी के साथ मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।)
फसल पर फायदें:
1. पौधों का स्वस्थ व समुचित विकास।
2. अधिक शाखायें, समय पर फूल-फल।
3. अत्यधिक ठंड व अधिक तापमान की स्थिति में टिके रहने की क्षमता प्रदान करता है।
4. फूलों को झड़ने से रोकता है।
नोट: कॉपर व सल्फर आधारित रसायनों के साथ प्रथम का फसलों पर छिड़काव न करें।